कुछ खोज रही
थी
में रान
कभी किसी से
मिलती
बातें करती
पूछती बोलती
कुछ सोच रही
थी
में तो
गए दिन
कुछ ऐसे होते
कुछ ऐसे ना
होते तो
कुछ कर रही
थी
में रोज़
आज कुछ नया
कुछ बेहतर
कुछ अलग
यह सब कुछ
और बहुत कुछ
करके
ना जाने किसे
ढूँढ रही थी
में रोज़
कुढ़ की तलाश
इतनी लम्बी होगी
मैंने सोचा ना
था
No comments:
Post a Comment