Friday, February 2, 2018

जागो

वो सूखी परत
चाई की भुली प्याली पे

वो नए चाँदी और सफ़ेद
काले केसूँ के बीचों बीच

वो नयीं किताब
पे धूल के ढेर उधेर

वो स्कूल की सहेली
के जन्मदिन पे भुला एक कोल

वो बक्से में बंध घुंगरू
को हर साल संभाल कर रखना

वो अपनी सम्भाली खाते 
में अंगिनिथ अधूरे कहानियाँ

वो अंकहे अनसूने अल्फ़स 
हम  दोनो की बीच

वो जल्द गुज़रती यह जिंदिगनी
अधूरा , अनदेखा बहुत कुछ

कुछ याद दिलाती, कुछ उकसती
ख़ुद को जगा के रख, मुसाफ़िर

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Marigold

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