Wednesday, January 24, 2018

खुदी


कुछ खोज रही थी
में रान
कभी किसी से मिलती
बातें करती
पूछती बोलती

कुछ सोच रही थी
में तो
गए दिन
कुछ ऐसे होते
कुछ ऐसे ना होते तो

कुछ कर रही थी
में रोज़
आज कुछ नया
कुछ बेहतर
कुछ अलग

यह सब कुछ
और बहुत कुछ करके
ना जाने किसे
ढूँढ रही थी में रोज़

कुढ़ की तलाश
इतनी लम्बी होगी
मैंने सोचा ना था

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